Monday, April 27, 2009

एक क़तरा आसमान

कुछ थे रंगबिरंगे सपने,
कुछ मासूम से थे अरमान
कुछ खवाबों ने ली अंगड़ाई
कुछ थीं अनोखी सी दास्तान
फिर चले जगाने इस संमाज को
मिले हाथ से कुछ और हाथ
बढ़ चले कदम कुछ यूँ
पाने को अपने हिस्से का
एक कतरा आसमान……
तपती धूप में नीमछांव सा,
निर्जन वन में प्रीत गान सा
स्वाती नक्षत्र की एक बूँद के जैसा
आज़ हमारी मुठ्ठी में है
ये एक कतरा आसमान का……

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