ये उन दिनों की बात है जब कैमरा की घुंडी घुमाकर रील आगे बढ़ाई जाती थी।
एक क्लिक की आवाज के साथ रील आगे बढ़ जाती थी
एक रील में 15 , २३ या ३६ फोटो होते थे… जो कभी कभी एक ज्यादा या एक कम भी हो जाते थे.
पूरे फोटो खिंच जाने पर कैमरे की एक टोपी घुमाकर रील रिवाइंड की जाती थी
फिर उसका शटर दबाकर रोल निकाला जाता था
और फिर खुद ही होस्टल के बाथरूम को डार्क रूम बनाया जाता था
एक टब या तसले में, पानी और सैल्युशन मिलाकर नैगेटिव धोये जाते थे
फिर रोल डेवलोप करके प्रिंट सुखाये जाते थे.
और तब भी रंगीन फोटो ब्लैक एंड वाइट से नजर आते थे .
और तब तक बाथरूम के दरवाजे पर चिप्पी चिपकाई जाती थी- “Не входить”
#ये उन दिनों की बात है ….
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