तू शिव है
मैं शक्ति नहीं
तू सत्य है
मैं असत्य सही
तू सुन्दर है
मैं असुंदर वही
पर कुछ है
जो भीतर है
गुनता है
पर दिखता नहीं
तूने कभी पूछा नहीं
मैंने भी तो कहा नहीं
कदाचित प्रेम है
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