तेरी नजरों में अपने ख्वाब समा मैं यूँ खुश हूँ
बर्फ के सीने में फ़ना हो ज्यूँ ओस चमकती है.
बर्फ के सीने में फ़ना हो ज्यूँ ओस चमकती है.
अब बस तू है, तेरी नजर है, तेरा ही नजरिया
मैं चांदनी हूँ जो चाँद की बाँहों में दमकती है.
तेरी सांसों से जो आती है वह खुशबू है मेरी
रात की रानी तो तिमिर के संग ही महकती है.
बेशक फूलों से भरे हों बाग़ बगीचे हर तरफ
दूब फिर भी घास के साये में ही पनपती है.
बेशक फूलों से भरे हों बाग़ बगीचे हर तरफ
दूब फिर भी घास के साये में ही पनपती है.
तू ही है मेरी चाल -ढाल में, हंसी में, करार में
नट की अँगुली पर ही तो कठपुतली मटकती है.
हो आग कहीं लगी या फैला हो उजाला कहीं
साये में दीप के ही मगर “शिखा” दहकती है.
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