Sunday, June 15, 2014

ऐसा नहीं कोई और....


बरगद की छाँव सा 

शहरों में गाँव सा 
भंवर में नाव सा 
कोई और नहीं होता। 

फूलों में गुलाब सा 
रागों में मल्हार सा 
गर्मी में फुहार सा 
कोई और नहीं होता। 

नारियल के फल सा 
करेले के रस सा 
खेतों में हल सा 
कोई और नहीं होता।

पूनम की निशा सा 
पथ में दिशा सा 
जीवन में “पिता” सा 
कोई और नहीं होता। 

Happy Father’s day Papa.. 🙂

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