मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. और आपस में मिलजुल कर उत्सव मनाना उसकी जिंदगी का एक अहम् हिस्सा है। जब से मानवीय सभ्यता ने जन्म लिया उसने मौसम और आसपास के परिवेश के अनुसार अलग अलग उत्सवों की नींव डाली, और उन्हें आनंददायी बनाने के लिए तथा एक दूसरे से जोड़ने के लिए अनेकों रीति रिवाज़ों को बनाया। परिणामस्वरूप स्थान व स्थानीय सुविधाओं को देखते हुए आपस में मिलजुल कर आनंद लेने का बहाना ये आयोजन और उत्सव बनते चले गए।
फिर मानव जैसे जैसे सभ्यता और तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता गया उसकी महत्वाकांक्षाओं ने सरहदें बढ़ा दीं, भेदभाव बढ़ा, आपसी स्वार्थ बढ़ा, परन्तु उसकी स्वभावगत सामाजिकता और उत्सव धर्मिता पर कोई आंच नहीं आई. आज भी अपनी रोजमर्रा की आपाधापी और रोटी – पानी के इंतज़ाम के बाद उसे वक़्त वक़्त पर अपनी ऊर्जा एकत्रित करने के लिए कोई न कोई उत्सव या आयोजन की आवश्यकता होती है और इसीलिए हर देश में, हर समुदाय में, साल में कुछ महीनों के बाद कोई न कोई उत्सव का आयोजन किया ही जाता है.


बेशक अलग अलग परिवेश में इंसान की त्वचा का रंग, भाषा और पारिधान अलग हों परन्तु शारीरिक संरचना एक प्रकार ही होती है. वही एक दिल , एक दिमाग, दो आँखें, एक मुँह आदि अत: अनेक विभिन्नताएं होने के वावजूद संसार में सभी मनुष्यों की गतिविधियों में एक समानता ही पाई जाती है. उनके उत्सव के नाम बेशक अलग हों, परन्तु उन्हें मनाने का उद्देश्य और तरीका लगभग समान ही पाया जाता है।
नवम्बर के जाते जाते लंदन पूरी तरह उत्सवमयी हो जाता है. मौसम की ठिरन पर, क्रिसमस के जोश की गरमी भारी पड़ने लगती है. घरों से लेकर सडकों तक और दुकानो से लेकर बागों , बाजारों तक सभी कुछ त्यौहारमयी हो जाता है. जगह जगह सजे हुए क्रिसमस ट्री के आसपास अपना उपहारों से भरा झोला उठाये और मोटी तोंद लिए घूमते सैंटा क्लोज यूँ तो हर जगह ही मेला सा लगाए रखते हैं. परन्तु कुछ हफ़्तों के लिए आयोजित यह मेले नुमा विंटर वंडरलैंड इस माहौल को एक अलग की स्तर, आकर्षण और उम्माद प्रदान करता है. 
यानि कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य कहीं भी रहे किसी भी जाति ,समुदाय या देश से ताल्लुक रखता हो, उसका रस लेने का, प्रसन्न होने का स्वभाव एक ही है व आनंद मनाने के तरीके भी लगभग समान ही हैं. और इसी का उदाहरण है सर्दियों में क्रिसमस महोत्सव के आनंद को बढ़ाने के लिए लंदन में छह: हफ़्तों में लिए लगने वाला यह मेला “विंटर वंडरलैंड” जिसमें हर आयु वर्ग और हर रूचि के लोगों के लिए कुछ न कुछ अवश्य है. और सबसे बड़ी बात – आज के दौर में जहाँ पानी भी पैसे से खरीदा जाता है वहाँ इसमें प्रवेश पूरी तरह मुफ्त है.



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