एक ज्योतिषी ने एक बार कहा था
उसे वह मिलेगा सब
जो भी वह चाहेगी दिल से
उसने मांगा
पिता की सेहत,
पति की तरक्की,
बेटे की नौकरी,
बेटी का ब्याह,
एक अदद छत.
अब उसी छत पर अकेली खड़ी
सोचती है वो
क्या मिला उसे ?
ये पंडित भी कितना झूठ बोलते हैं.
उसे वह मिलेगा सब
जो भी वह चाहेगी दिल से
उसने मांगा
पिता की सेहत,
पति की तरक्की,
बेटे की नौकरी,
बेटी का ब्याह,
एक अदद छत.
अब उसी छत पर अकेली खड़ी
सोचती है वो
क्या मिला उसे ?
ये पंडित भी कितना झूठ बोलते हैं.
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चाहते हैं हम कि बन जाएँ रिश्ते
जरा से प्रयास से
थोड़ी सी गर्मी से
और थोड़े से प्यार से
पर रिश्ते दही तो नहीं
जो जम जाए बस दूध में
ज़रा सा जामन मिलाने से .
आखिर क्यूँ कर कोई उन्हें कहे अपना
जो देते हैं यह बहाना अपनी दूरी का कि
तुम्हारे करीब लोगों का जमघट बहुत है
अपना तो वो हो जो मिले जमघट में भी
अपनों की तरह, पूरे अधिकार से
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