सुना है 21 दिसंबर को प्रलय आने वाली है ..पर क्या प्रलय आने में कुछ बाकी बचा है ?.भौतिकता इस कदर हावी है की मानवता गर्त में चली गई है, बची ही कहाँ है इंसानों की दुनिया जो ख़तम हो जाएगी।मन बहुत खराब है ..
यूँ राहों पर कुलांचे भरती
पल में दिखती पल में छुपती

यूँ राहों पर कुलांचे भरती
पल में दिखती पल में छुपती
मृगनयनी वो दुग्ध.धवल सी
चंचल चपल वो युव शशक सी
घूँघर लट मचल मचल कर
करती ग्रीवा से ठिठोली।
घूँघर लट मचल मचल कर
करती ग्रीवा से ठिठोली।
पगडंडी पर कल मिली थी
करती झाड़ी से अठखेली
कल कल बहती जाती जैसे
पावन, निर्मल कोई नदी सी
बोली में मिश्री सी घोली
बोली में मिश्री सी घोली
गुनगुन भी सरगम सी बोली
तभी प्रकट हुई एक टोली
बहशी, दानव से वे भोगी
इंसानों की इस दुनिया में
पशुवत,कुंठित वे मनोरोगी
पल भर में ही बदल गया दृश्य
क्षत विक्षत अब पडी वो भोली।
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