Shikha Varshney
Thursday, July 7, 2011
जिद्दी कहीं का.
सूनसान सी पगडण्डी पर
जो हौले हौले चलता है.
शायद मेरा वजूद है.
जो करता है हठ,
चलने की पैंया पैंया
बिना थामे
उंगली किसी की.
डर है मुझे
फिर ना गिर जाये कहीं
ठोकर खाकर.
नामुराद
जिद्दी कहीं का.
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