मोस्को में मेरी एक बहुत अच्छी मित्र थी श्रीलंका की… इतना अच्छा चिकेन बनाती थी ना …रहने दीजिये वर्ना बाकी पोस्ट नहीं लिखी जाएगी .और इसका राज़ वो बताती थी वहां के मसाले .और भी बहुत सी बातें की मोती बहुत अच्छे मिलते हैं वहां ,समुंद्री किनारे बहुत खूबसूरत हैं वगैरह वगैरह ..जिन्हें सुन सुन कर मेरा भी मन श्रीलंका देखने को व्याकुल हो जाया करता था पर कभी मौका नहीं आया .अब हुआ ये कि फिलहाल एक मित्र जा रहे थे श्रीलंका किसी काम से ,तो हाय रे हमारी घुमक्कड़ जिज्ञासा ..उनसे अनुरोध कर डाला हमने, कि उस रावण की नगरी की कुछ तस्वीरें जरुर लेते आयें सुना था कि हनुमान के पदचिन्ह भी पाए जाते हैं अबतक वहां .तो जी वो ले आये तस्वीरें खींच कर और हमें भेज भी दीं.अब वहां जैसा हमने सोचा था, रावण का महल या हनुमान के पदचिन्ह तो नहीं दिखे पर बहुत ही खूबसूरत नज़ारे नजर आये और फिलहाल के लिए हमारी श्रीलंका देखने की तमन्ना शांत हो गई .तो आप भी इन तस्वीरों से काम चलाइये कभी उस स्वर्ण नगरी में जाना हुआ तो इत्मिनान से सैर कराएँगे आपको –
वाह वहां भी भुट्टा वाला होता है ...

गाल स्टेडियम .इतना हरा गाल पहले कभी नहीं देखा 🙂
गाल किला की दीवार
आप समझ ही गए होंगे एक पुराना सा घर है बस.

टाउन हॉल कोलम्बो .

रेलवे स्टेशन कोलम्बो
और अंत में अपना भारतीय भोजनालय ..बिना रोटी के कैसे चलेगा…रावण था राजा वहां का
नानी से हम कहानी सुनते थे
तब बानरों ने बनाया था
एक एक पत्थर पर
कहती थी नानी ,दशहरे पर
रावण को जलाया करते हम
तो क्या उस स्वर्ण नगरी में
पूजते हैं रावण को वे सब?
क्या अब भी वहां पर
अशोक वाटिका है कहीं ?
या फिर हैं वो काली दीवारें
जला डालीं थीं कभी
ऐसी ही कितनी जिज्ञासाएं
छुटपन से मन में छाई हैं
कभी देखेंगे हम वो स्वर्ण नगरी
मन में उमंग भर आई है….








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