मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
भावो से खिल जाऊं मैं
शब्दों से निखर जाऊं मैं
मन के अंतस से जो उपजे
मोती सी यूँ रच उठती हूँ.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
हर दर्द की एक दवा सी मैं
हर गम में एक दुआ सी मैं
पलकों से गिरती बूंदों को
चुन दामन में भर उठती हूँ.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ.
एक ज़ज्बे की तलबगार हूँ मैं
हर रूह की साझेदार हूँ मैं.
जब जब धड़के दिल कोई
सारंगी सी बज उठती हूँ.
मैं एक कविता बस छोटी सी
हर दिल की तह में रहती हूँ
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