होली के त्यौहार पर ,
चलो कुछ हुडदंग मचाएं,
टिप्पणियाँ तो देते ही हैं
इस बार कुछ title बनाये.
ब्लॉगजगत के परिवार में.
भांति भांति के गुणी जन
आज इस छत के नीचे
मिल जाएँ सब मित्रगण
प्रेम सौहार्द के रंग के साथ
है बस थोडा निर्मल हास्य
जैसे मीठी ठंडाई में
मिला दी भंग की गोली चार..
लो सबसे पहले हम खुद पर
महा मूर्ख की उपाधि धरते हैं.
कृपया न बुरा माने कोई.
अब हम शुरुआत करते हैं.
बुरा न मानो ,होली है भाई होली है.
Speacial thanks to “रश्मि रविजा” ..जिन्होंने बहुत से सदस्यों से परिचित कराने में अपना सहयोग दिया… 🙂
ताऊ = . मोटे को पतला करे ,काला गोरा हुई जाय ,ब्लागिंग को ताला देकै, दूकान लियो बनाए
बी एस पाबला = आते जाते हुए मैं सबकी खबर रखता हूँ…….
समीर लाल = हो कनाडा या बनारस की गली, हर जगह पहुंचे उड़न तश्तरी ,एक हाथ दे दूजे हाथ ले टिप्पणी.
राज भाटिया.= जानी !……………..हम वो नहीं जो वक़्त के साथ बदल जाया करते हैं
श्याम सखा “श्याम”= नाम के ही सखा नहीं मन के भी सखा से हैं,भावुक मन से लिखते हैं पर ज़माने से खफा से हैं.
अरविन्द मिश्र = आँखों की गुस्ताखियाँ माफ़ हों…
निर्मला कपिला = माँ कहोगे तो लड्डू दूंगी………:)
श्रीमति अजीत गुप्ता = दिल से लिखती खूब हैं, सबका मन भरमाय, समझ सकौ तो ठीक ,है अनाड़ी जो समझ न पाए. वाणी = मोटापे पे दुखियाये , मॉर्निंग वाक् करने नेट पे आये. रश्मि प्रभा = शब्दों की चित्रकार, भावनाएं हैं गहन ,होठों पर मुसकान लिए जीत लेती हैं मन
संगीता पूरी.= इनकी कछु न पूछिए ,जन्मतिथि लियो छुपाय, हत्थे गर इनके चढ़े, जाने क्या दें ये बताय
अदा = . अदा की अदा निराली ,पीछे चलती भवरों की टोली सारी.. अविनाश बाचस्पति = दिन में जब भी चाहे मन ,कर लो कुछ काव्य लेखन ,आशु बनाओ या मैगी नूडल्स .just two minuts ……
संगीता स्वरुप = ब्लोगिंग की किसको पड़ी है, वो तो अपनी कविताओं में रमी है. ओम आर्य = किस किससे क्या मांग लिया ..जाने क्या जंजाल किया.न समझा कोई हाले दिल, कवि मन का क्या हाल किया. हरकीरत हीर = मेरे तो अमृता इमरोज़ दूसरो न कोई …….
अनूप शुक्ल = आ देखें जरा किसमें कितना है दम. शरद कोकस = भूत पिचाश निकट नहीं आवे ,शरद कोकस जब नाम सुनावे.
गौतम राजरिशी = गन और ग़ज़ल का साथ…क्या गज़ब की धार…
रश्मि रविजा = दुनिया न जाने कहाँ फिर रही है ,एकता कपूर तो यहीं खड़ी है.
ललित शर्मा.= चेहरे पर फौजी सी मूंछ ,पर लेखन में हैं मशरूफ.
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काजल कुमार = कहता है कार्टून सारा ज़माना आधी हकीकत आधा फ़साना ..चश्मा उतारो फिर देखो यारो…….
शैफाली पाण्डेय.= चाकू छुर्रियाँ तेज़ करा लो……हर मुद्दे की धज्जियाँ उड़वा लो. दिगम्बर नासवा.= यहाँ वहां ,जहाँ तहां मत पूछो कहाँ कहाँ.. हैं मेरी टिप्पणियाँ…….ये टिप्पणियाँ
महफूज = पूछन गए भविष्य महाराज क्या शनि की छाया है? बोला पंडित नहीं बच्चा तुझ पर तो फ्लर्ट योग की माया है. खुशदीप = हम हैं इतने महान ,किसी अवार्ड की कहाँ विसात कि करे हमारा सम्मान.
शाहिद मिर्जा “शाहिद “.= हमरे मन बस कवि समाये ,बाकी कछु नजर न आये
रेखा श्रीवास्तव = करने नहीं देंगे किसी को अपनी मनमानी.नारी को अपनी जगह दिलाने की है ठानी
वंदना अवस्थी दुबे = रेडियो में ही उलझा है मन ,वो अमीन सयानी की बातें ,वो उर्दू सर्विस की रातें