नजरें. कुछ और कह रही
लब की अलग कहानी है
देते आगे से मिश्री और
पीछे हाथ में आरी है
कोई बड़ा हुआ है कैसे
और कोई कैसे चढ़ा हुआ है
खींचो पैर गिराओ भू पर
ये किस की शामत आई है.
.
रख कर पैर किसी के सर
बस अपनी मंजिल पानी है.
ये किस की शामत आई है.
.
रख कर पैर किसी के सर
बस अपनी मंजिल पानी है.
है हाथ दोस्ती का बढा हुआ.
दिल से दुश्मनी निभानी है
कोई तो राह चलो मन की
कोई तो दे दो पनाह इसे
दर दर भीख मांग रही
ये इंसानियत बेचारी है
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