Saturday, December 19, 2009

बर्फ के फाहे

यहाँ आजकल बर्फ पढ़ रही है तो उसे देखकर कुछ ख्याल आये ज़हन
में
view from my house window .

छोटे छोटे रुई के से टुकड़े
गिरते हैं धुंधले आकाश से
और बिछ जाते हैं धरा पर
सफ़ेद कोमल चादर की तरह
तेरा प्यार भी तो ऐसा ही है,
बरसता है बर्फ के फाहों सा
और फिर ……
बस जाता है दिल की सतह पर
शांत श्वेत चादर सा।
और मैं ओढ़ के उसे
लिहाफ की तरह।,
सो जाती हूँ निश्चिन्त।
उसमें बसी
तेरे प्यार की गर्माहट
देती है यूँ हौसला
जिन्दगी की कड़ी सर्दी से उबरने का.

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