Tuesday, September 27, 2016

लन्दन में रथयात्रा ... एक चित्रमाला.

यूँ मैं बहुत धार्मिक नहीं और पूजा पाठ में तो यकीन न के बराबर है. पर मैं नास्तिक भी नहीं और उत्सवों में त्योहारों में बहुत दिलचस्पी है. उनमें यथासंभव भाग लेने की कोशिश भी हमेशा रहा करती है.
ऐसे में जब पता चले कि अपने ही इलाके में जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा का आयोजन है तो जाए बिना रहा नहीं जाता. भारत में, पुरी में तो इस तरह के आयोजन देखने का न कभी संयोग हुआ न ही कभी हिम्मत, परन्तु लन्दन में इन आयोजनों के साथ अनुशासन और सुरक्षा के ऐसे इंतजाम होते हैं कि इनमें शामिल होने के लिए सिर्फ मन होने से काम चल जाता है हिम्मत जुटाने की जरुरत नहीं पड़ती.
तो इस रथयात्रा की आँखों देखी झलकियां हाज़िर हैं – हालाँकि आयोजन करने वाले हरे राम हरे कृष्ण वाले थे यानि कि इस्कॉन ने आयोजन किया था परन्तु जो भी था दर्शनीय तो अवश्य ही था.
कार्यक्रम के मुताबिक रथयात्रा – इल्फोर्ड टाउन हॉल से ठीक दोपहर बारह बजे शुरू होकर करीब एक मील चलती हुई वेलेंटाइन पार्क में ठीक १ बजे पहुंची. समय का अनुशासान आवश्यक था क्योंकि इस दौरान इस मुख्य सड़क पर वाहनों का आवागमन बंद किया हुआ था.
पार्क में एक छोटा सा मेला लगा हुआ था, वहीँ भगवान जगन्नाथ के विश्राम और भंडारे की व्यवस्था थी.
तो चलिए चलते हैं – कदम दर कदम, तस्वीरों के ज़रिये, इस यात्रा के साथ –

 भगवान के लिए सड़क बुहारती एक भक्तिन 

सड़क बंद का आधिकारिक नोटिस  


प्रसाद बांटती एक स्वयंसेवी 

 रथ खींचते भक्त 

नाचते गाते लोग  










ये बच्चियां पूरी तरह तैयार थी उत्सव के लिए. बीच वाली पूरे रास्ते अपने साथियों को जगन्नाथ भगवान और उनके परिवार की कहानी सुनाती आ रही थी.

 पार्क में लगा हुआ छोटा सा मेला 

भगवान का अस्थाई मंदिर और पूजा की थालियाँ

नाश्ता और केक 

 भंडारा 

Saturday, September 24, 2016

जियो जी भर...

अमरीका के एक प्रसिद्ध लेखक रे ब्रैडबेरि का कहना है कि अपनी आँखों को अचंभों से भर लोजियो ऐसे कि जैसे अभी दस सेकेण्ड में गिर कर मरने वाले होदुनिया देखो, यह कारखानों में बनाए गए या खरीदे गए किसी भी सपने से ज्यादा शानदार है. 
वाकई घुमक्कड़ीयायावरी या पर्यटन ऐसी संपदा है जो आपके व्यक्तित्व को अमीर बनाती है और शायद इसलिए आजकल यह दिनों दिन बेहद लोकप्रिय होती जा रही है.
देशोंस्थानों की खोज से शुरू हुई यात्राएं, धार्मिक तीर्थ यात्राओं से होती हुई आज – स्वास्थ्यज्ञानव्यापार और सबसे अधिक मनोरंजन तक पहुँच गईं हैं और आलम यह है कि अब फुर्सत के कम से कम पलों में भी हम छोटी ही सही किसी यात्रा पर निकल जाने के लिए लालायित और बेचैन रहते हैं. शायद यही वजह है कि कुछ देश तो सिर्फ पर्यटन से ही विकसित हुए हैं और आज भी मुख्यत: उसी पर निर्भर हैं.
 
जहाँ फ़्रांस दुनिया का ऐसा देश है जहाँ सबसे अधिक पर्यटक जाते हैं वहीँ स्विट्जरलैंडस्पेनग्रीस आदि ऐसे देश हैं जहाँ की लगभग पूरी अर्थव्यवस्था ही पर्यटन पर चलती है. स्विट्जरलैंड ने अपने खूबसूरत पहाड़ों और प्रकृति को इतनी खूबसूरती से सहेजा है कि यात्री उसकी ओर खिचे चले जाते हैं वहीँ स्पेन ने अपने समुद्री तटों को पर्यटन का मुख्य आकर्षण बनाया है. अमरीका अपने वैभवपूर्ण लॉस वेगास के लिए प्रसिद्द है तो भारत में गोवा के तटराजस्थान की एतिहासिक इमारतें और दक्षिण के अद्दभुत मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं.
 
कहने का तात्पर्य यह कि प्रत्येक देश या स्थान की अपनी विशेषताएं होती हैं परन्तु उन्हें पर्यटन के लिए आकर्षक बनाने के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक होता है उन्हें यात्रियों के लिए सुरक्षितसुलभ और सुविधाजनक बनाना. और यहीं पर कुछ स्थान दूसरे कुछ स्थानों से बाजी मार ले जाते हैं.
यूँ दुनिया का हर देश क्या हर स्थान किसी न किसी मायने में एक दूसरे से भिन्न होते हैं. आपको यदि यात्रा करनी ही है तो यह बिलकुल जरुरी नहीं कि आप कोसों दूर किसी मशहूर विदेशी जगह पर जाएँ. अपने आसपास ही, कहीं, कुछ दूरी पर जाकर देखियेमन की आँखें खोलिए तो आप पायेंगे वहाँ भी बहुत कुछ ऐसा है दूसरों से जुदा है.
 
इंग्लैंड में लन्दन से सिर्फ दो घंटे की ड्राइव परदक्षिण पश्चिमी और मध्य इंग्लैण्ड में स्थितप्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण एक इलाका है कोट्स वोल्ड” करीब पच्चीस मील में फैले हुए इस क्षेत्र में छोटे छोटे कई एतिहासिक और पुरातन गाँव हैंगाँवों के बीच से बहती हुई नदियाँ हैंछोटे छोटे टीले से पहाड़ हैं. एक महानगर और दुनिया की आर्थिक राजधानी के इतने करीब होने पर भी एक बिलकुल नया परिवेश और वातावरण वहाँ देखने को मिलता है. सडकों से लेकर घरों तक और दुकानों से लेकर वहाँ के निवासियों तक में एक स्पष्ट भिन्नता दिखाई पड़ती है.
पर्यटन हमारे लिए ऐसी ही नई दुनिया के दरवाजे खोलता है. अपनी सिमटी हुई दुनिया से निकाल कर अलग संस्कृतिपरिवेशखानपान आदि से हमें अवगत कराता है और हमें बताता है कि तुम जहाँ जीते हो वह इस क़ायनात का एक बेहद छोटा सा टुकड़ा है. अपने कुएँ से बाहर निकलो और देखो कि यह संसार कितना बड़ा और विविध है.
 
एक रोमन स्टोइक दार्शनिक सेनेका के अनुसार – यात्रा और स्थान में बदलाव मन में नई शक्ति का संचार करते हैं. तो यदि आपको भी चाहिए यह मन की शक्ति तो निकलिए अपने खोल सेबंद कीजिये अपने कमरे में लगे टेलीविजन को और निकल पढ़िये जहाँ भी डगर ले चले. 
वैसे भी किसी शायर ने क्या खूब कहा है –
मस्तूल तन चुके हैं बहती बयार में,
बाहें फैलाए दुनिया तेरे इंतज़ार में.